लेखनी प्रतियोगिता -12-Jan-2022 स्वामी विवेकानंद
मंस
12 जनवरी 1863 कोलकाता में जन्मा था,
पिता ने नरेंद्र नाथ दत्त नाम इनको दिया था |
कुशाग्र अपनी बुद्धि से बनाई थी पहचान ,
हाजिर जवाबी थे बड़े स्वामी विवेकानंद महान |
युवाओं में बनी अलग पहचान थी उनकी ,
वाणी में जैसे कोई जादूगरी थी उनकी |
रामकृष्ण परमहंस थे धन्य ऐसा शिष्य पाकर ,
रामकृष्ण मिशन स्थापना की आगे जाकर |
सज्जन थे बड़े, सनातन धर्म के रक्षक थे वह ,
जिज्ञासु प्रवृत्ति , ऊर्जावान युवक थे वह |
सारे विश्व ने देखा इनका संबोधन, दिया था मान ,
*"मेरे अमरीकी भाइयों और बहनों"* से शुरू हुआ था ,
शिकागो में सनातन को संबोधित कर पाया सम्मान |
*"उठो , जागो और तब तक न* *रुको जब तक* ,
*लक्ष्य की प्राप्ति न हो*" यह कथन था इनका |
हिंदू दर्शन, वेद , शास्त्रों का ज्ञान भरपूर इनको ,
सत्यता , व्यावहारिकता का प्रतीक जानो इनको |
इतिहास इन्होंने एक नया गढ़ दिया था ,
युवाओं के मन में उर्जा का संचार किया था |
इनके पद चिन्हों पर थोड़ा भी चल पाए तो ,
विश्व में मिलकर संस्कृति की धरोहर बचाएं तो |
विवेकशील, धेर्यवान बन जाए कुछ उनके जैसे ,
आओ सच्चें श्रद्धासुमन अर्पित करें उनको ऐसे |
शत शत नमन मेरा इनको बारंबार है ,
आ जाए कुछ मुझ में भी ऐसे ही अंश,
ईश्वर से मेरी बस एक यही दरकार हैं ||
प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Sudhanshu pabdey
13-Jan-2022 10:58 AM
Very nice
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Swati chourasia
13-Jan-2022 07:56 AM
Wahh bohot hi khubsurat rachna 👌👌
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Punam verma
12-Jan-2022 11:27 PM
Very nice
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